आशीष कब्डवाल: किसान परिवार से निकला जनआवाज़ का नया चेहरा

हल्द्वानी के हल्दूचौड़ निवासी आशीष कब्डवाल आज युवाओं की राजनीति में एक उभरता हुआ नाम हैं। एक साधारण किसान परिवार से आने वाले आशीष की जड़ें गहरी और मूलभूत संघर्षों से जुड़ी हैं। उनकी परवरिश एक ऐसे घर में हुई, जहाँ स्वतंत्रता संग्राम की धारा बहती थी। उनके दादा स्वतंत्रता सेनानी थे, और शायद यही विरासत उन्हें समाज और देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देती है।

आशीष की शिक्षा DAV से शुरू हुई और इसके बाद उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय के DSB कैंपस में उच्च शिक्षा ग्रहण की। वे न सिर्फ ग्रेजुएशन और मास्टर्स पूरी कर चुके हैं बल्कि वर्तमान में जनसंचार एवं पत्रकारिता में डबल मास्टर्स के छात्र हैं।

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📍 छात्र राजनीति और संघर्ष
कैंपस जीवन के दौरान आशीष ने नज़दीक से छात्रों की समस्याओं को देखा और स्वयं भी अनुभव किया। यहीं से छात्र राजनीति में उनकी रुचि और सक्रियता शुरू हुई। पिछले वर्षों में उन्होंने छात्रसंघ चुनाव में हिस्सा लिया, जहाँ उनके समर्थक प्रत्याशी जीतकर भी आए और कुछ हार भी गए। किंतु इन उतार-चढ़ावों के बीच आशीष का मूल मंत्र यही रहा — “छात्रों की समस्याएँ हमेशा प्राथमिकता पर।”

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बीते वर्ष जब वे स्वयं चुनाव लड़ने वाले थे, तो विश्वविद्यालय ने चुनाव स्थगित कर दिए। लेकिन आशीष ने इसे हार नहीं माना और इस वर्ष उन्होंने विश्वविद्यालय प्रतिनिधि (UR), DSB कैंपस पद के लिए खुद को फिर से मैदान में उतारा है।

📍 दृष्टि और लक्ष्य
आशीष कब्डवाल केवल UR पद तक सीमित नहीं रहना चाहते। उनका लक्ष्य है आने वाले समय में महासंघ अध्यक्ष पद के लिए भी चुनाव लड़ना। वे मानते हैं कि यह जिम्मेदारी उन्हें छात्रों की आवाज़ को और बुलंद करने का अवसर देगी।

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आशीष कहते हैं:
👉 “मेरा संघर्ष केवल मेरे लिए नहीं, बल्कि हर उस छात्र के लिए है जिसने कैंपस में कठिनाइयाँ देखी और महसूस की हैं। आप सबका स्नेह और समर्थन ही मेरी असली ताकत है।”


✨ इस तरह आशीष कब्डवाल सिर्फ़ एक छात्र नेता नहीं, बल्कि एक विचार, एक उम्मीद और संघर्ष से निकला हुआ चेहरा हैं। उनका सफर हमें यह याद दिलाता है कि किसान परिवार से निकला एक युवा भी आने वाले समय में समाज और विश्वविद्यालय दोनों के लिए परिवर्तन का वाहक बन सकता है।

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