
नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल में 29 सितम्बर को होने वाले महासंघ चुनाव अब और भी रोचक हो चले हैं। शुरुआती दौर में कुल 21 सीटों पर प्रतिनिधि चुने जाने थे, लेकिन उम्र अधिक होने के कारण 2 सीटें रद्द कर दी गईं। अब तस्वीर पूरी तरह से 19 निर्वाचित प्रतिनिधियों पर टिकी है।
👉 अब सवाल सीधा और बड़ा है –
इन 19 प्रतिनिधियों में से किसके समर्थन से बनेगा भविष्य का महासंघ अध्यक्ष?
यह चुनाव केवल नेतृत्व तय करने का मामला नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में कुमाऊं विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति की दिशा और दशा निर्धारित करने वाला ऐतिहासिक क्षण है।
📌 क्यों खास है यह महासंघ चुनाव?
इस बार कई सीटों पर प्रतिनिधि निर्विरोध चुने गए, जो मजबूत धड़े की तस्वीर दिखाते हैं।
दूसरी ओर, कुछ सीटों पर कड़ा मुकाबला हुआ, जिससे कैंपस में चुनावी हलचल और तेज़ हो गई।
बड़े छात्र नेताओं की सक्रियता ने इस महासंग्राम को और चर्चित बना दिया है।
🔎 कैंपस विश्लेषकों का मानना है –
“यह चुनाव सिर्फ़ किसी छात्र नेता की जीत-हार नहीं, बल्कि उन चेहरों की पहचान भी तय करेगा जो कल को उत्तराखंड की राजनीति की पहली पंक्ति में खड़े नज़र आ सकते हैं।”
👉 अब सारी नज़रें 29 सितम्बर पर टिकी हैं, जब 19 निर्वाचित प्रतिनिधि मिलकर तय करेंगे कि कुमाऊं विश्वविद्यालय महासंघ का बागडोर किसके हाथ में होगी।