

नैनीताल।
डीएसबी कैंपस की राजनीति में इस समय एक ही नाम की चर्चा है – आशीष कब्डवाल। लंबे संघर्ष और समर्थकों की एकजुटता के बाद अब तस्वीर साफ़ है कि आशीष निर्विरोध जीत की ओर बढ़ चुके हैं। यह जीत महज़ चुनावी औपचारिकता नहीं, बल्कि वर्षों की विरासत और नेतृत्व का परिणाम है।
दीपक सिंह बिष्ट और हिमांशु कब्डवाल की भूमिका
आशीष की इस सफलता के पीछे दो बड़े नामों का अहम योगदान माना जा रहा है –
दीपक सिंह बिष्ट: पूर्व छात्र नेता, जिनकी रणनीति और संगठन कौशल ने आशीष को ज़मीन से लेकर नेतृत्व की ऊंचाई तक पहुँचाने में निर्णायक भूमिका निभाई। मेयर चुनावों में उनकी सक्रियता और प्रभाव ने पहले ही उनकी पकड़ साबित कर दी थी।
हिमांशु कब्डवाल: छात्र राजनीति में निर्माता की भूमिका निभाने वाले हिमांशु ने पर्दे के पीछे रहकर कई नेताओं को गढ़ा है। उनकी मेहनत और मार्गदर्शन ने ही आज आशीष की जीत को आसान बना दिया।
आशीष: वर्तमान की जीत, भविष्य की संभावना
निर्विरोध जीत की ओर बढ़ते आशीष कब्डवाल को अब सिर्फ़ एक छात्र नेता नहीं, बल्कि भविष्य का महासंघ अध्यक्ष भी माना जाने लगा है। कैंपस के भीतर यह चर्चा तेज़ है कि आने वाले दिनों में वह महासंघ अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे मज़बूत दावेदार साबित होंगे।
विरासत रंग लाई
आज यह निर्विरोध जीत साबित करती है कि दीपक सिंह बिष्ट और हिमांशु कब्डवाल की वर्षों की मेहनत और संगठन कौशल अब आशीष कब्डवाल की राह को न सिर्फ़ आसान बना रहा है, बल्कि उन्हें छात्र राजनीति का उभरता हुआ चेहरा भी बना रहा है।
