नैनीताल (दु:खद खबर):-राजौरी में आतंकी मुठभेड़ में रातीघाट के पैराकमांडो संजय बिष्ट हुए शहीद, परिजनों में मचा कोहराम……

  • देश सेवा का था जज्बा, भारत मां के लिए दे दिया बलिदान
  • रातीघाट के शहीद पैरा कमांडो संजय का बचपन से था देश सेवा करने का सपना
  • अक्सर कहते थे संजय…. कुछ ऐसा करो कि प्रेरणा बन जाओ
  • इंटर करते ही सेवा में हो गए थे भर्ती
  • 6 साल बाद बना रहे थे सेना सेवानिवृत्ति लेने की योजना

गरमपानी (नैनीताल):- जम्मू कश्मीर के राजौरी में बुधवार को आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में नैनीताल के रातीघाट निवासी लांस नायक संजय बिष्ट शहीद हो गए हैं। वह लांस नायक के पद पर तैनात थे। सैन्य अधिकारियों ने संजय के परिजनों को यह दुखद सूचना दी। शुक्रवार सुबह तक इस जांबाज का शव घर पहुंचने की संभावना है।

शहीद संजय के पिता दीवान सिंह खैरना पोस्ट ऑफिस में तैनात हैं। शहीद के भाई नीरज ने बताया कि इंटरमीडिएट करने के बाद वर्ष 2011-12 में संजय रानीखेत में हुई भर्ती में चयनित हुए थे। संजय को बचपन से ही सेना में भर्ती होने का जुनून था। बुधवार को राजौरी के कालाकोट क्षेत्र के गुलाबगढ़ जंगल में एक सर्च ऑपरेशन के दौरान हुई आतंकी मुठभेड़ में 2 कैप्टन और 2 जवान शहीद हो गए थे। इनमें नैनीताल जिले के रातीघाट निवासी संजय बिष्ट भी शामिल थे। वह अविवाहित थे। उनकी शहादत की सूचना पर पिता, मां मंजू बिष्ट, बहन ममता और विनीता बिष्ट के आंसू नहीं थम रहे। उनकी शहादत पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, नैनीताल विधायक सरिता आर्या, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या, पूर्व विधायक संजीव आर्या ने शोक जताया है।

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शोक में डूबा रातीघाट क्षेत्र नहीं मनाई गई बूढ़ी दीपावली

पैरा कमांडो संजय के बलिदानी होने की सूचना के साथ ही रातीघाट क्षेत्र शोक में डूब गया। शोकाकुल क्षेत्रवासियों ने बूढ़ी दीपावली भी नहीं मनाई। पूरा क्षेत्र अंधकार में डूबा रहा। लोगों ने बिजली की झालरें उतार दीं। बाजार भी धीरे-धीरे बंद होने लगा।

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मां बार-बार बेटे संजय का नाम लेकर हो रही बेसुध

बेटे संजय बिष्ट की शहादत की सूचना मिलते ही मां मंजू बेसुध पड़ गई। वह बार-बार बेटे का नाम लेकर संजू संजू पुकारती रहीं। मां को सांत्वना देने आसपास के लोग लगातार उनके घर पहुंच रहे हैं, लेकिन कलेजे का टुकड़ा शहीद होने के बाद मां के आंसू हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रहे। प्रशासन के कई अफसर और जनप्रतिनिधि भी संजय बिष्ट के शहीद होने की सूचना पर उनके घर पहुंचे।

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गमगीन पिता भी किसी तरह पहले खुद को संभाल रहे हैं। उसके बाद संजय की मां को दिलासा देकर हौसला दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। अब शहीद के पिता की आंखों के आंसू तो सूख चुके हैं, लेकिन वह भीतर से पूरी तरह से टूट चुके हैं। परिवार को संभालने के लिए खुद का दर्द बाहर नहीं आने दे रहे। उनके घर आसपास के जनप्रतिनिधि भी उनसे मिलने आ रहे हैं। उनके बात भी कर रहे हैं।

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