धारचूला न्यूज़ :- रविवार को दिन में डेढ़ बजे गुंजी से धारचूला की ओर आ रही बोलेरो जीप मालपा और पेलसिती झरने के बीच स्थित थक्ती झरने के समीप चट्टान के नीचे दब गई थी। आईटीबीपी, एसएसबी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस ने रेस्क्यू अभियान चलाया। हजारों टन मलबा देर शाम तक नहीं हटाया जा सका। अंधेरा होने के कारण रविवार को रेस्क्यू बंद कर दिया गया था। सोमवार सुबह आठ बजे से फिर से मलबा हटाने का काम शुरू किया। इस दौरान चट्टानों में बुरी तरह से दबे वाहन का मलबा मिला। वाहन के भीतर सात यात्रियों के क्षत विक्षत शव फंसे हुए थे। क्षतिग्रस्त वाहन में फंसे शवों को कटर और अन्य औजारों से की मदद से निकाला गया।
शवों की पहचान नपलच्यू निवासी विदन सिंह की पुत्री कोकिला 13 वर्ष, कशिश 10 वर्ष, पुत्र नितिन पांच वर्ष, बुंदी निवासी तुला राम (62 ) पुत्र संजीत राम, आशा देवी (55 ) पत्नी तुला राम, बलुवाकोट निवासी जीप चालक किशन सिंह भाट (34 ) पुत्र तारा सिंह और नेपाल के दलेख गांव निवासी भवन सिंह विकर (42 ) पुत्र राणा विकर के रूप में हुई। पुलिस सभी शवों को धारचूला लाई। यहां पर पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए।
एक साथ तीन बच्चों के शव देखकर फफक पड़े लोगधारचूला। हादसे में अपने तीन बच्चों को खोने वाले विदन सिंह और उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी को प्रशासन ने हेलीकॉप्टर से धारचूला के खोतिला पहुंचाया। चट्टानों के नीचे दबी कार से जब अन्य शवों के साथ तीन बच्चों के शव निकालकर धारचूला पहुंचाए गए तो लोगों की आंखें छलक पड़ी। बच्चों के माता-पिता सहित सभी परिजन फफक पड़े। इस दौरान पूरा माहौल गमगीन हो गया। उधर, हादसे में जान गंवाने वाले शिक्षक दंपति तुला राम बुदियाल और आशा देवी के परिजन भी सदमे में हैं। हादसे में मृतक चालक बलुवाकोट निवासी किशन सिंह भाट की पत्नी और बच्चों सहित अन्य परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है। सांसद अजय टम्टा ने बलुवाकोट पहुंचकर मृतक के परिजनों को ढांढस बंधाया। सभी मृतकों के घरों में दिन भर सांत्वना देने वालों की भीड़ लगी रही।