बेरीनाग (पिथौरागढ़) :- क्षेत्र में एक गुफा मिली है। इसमें प्रागैतिहासिक कालीन रॉक पेंटिंग (चित्रकारी) मिली है। इस गुफा में भी अल्मोड़ा के लखुउडियार गुफा की तरह ही चट्टानों पर चित्र उकेरे गए हैं।
पुरातत्व एवं साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में कार्य कर रहे काफल हिल एडवेंचर क्लब के अध्यक्ष तरुण मेहरा ने बेड़ीनाग के महाविद्यालय के पास की पहाड़ी में यह गुफा खोजी। जब वह गुफा के भीतर गए तो देखकर वह दंग रह गए। वहां बने चित्रों को गुफा की दीवारों पर विशेष रंग से प्रागैतिहासिक काल की रॉक पेंटिंग की गई है। इससे पूर्व अल्मोड़ा में वर्ष 1965 में खोजी गई लखुउडिआर गुफा में भी इस तरह की पेंटिंग मिली थी जिसे पुरातत्व विभाग ने संरक्षित किया है।
मानव चित्रों के नीचे बना है जानवर का चित्र……
बेरीनाग : दीवार पर उकेरे गए चित्रों में एक स्थान पर लगभग 11 पुरुष-महिलाओं के चित्र उकेरे गए हैं। इन चित्रों के ठीक नीचे एक पशु का चित्र भी है। इससे यह भी माना जा रहा है कि आदि मानव शिकार करने के बाद पशुओं को लाते होंगे। गुफा में भीतर काफी स्थान है।
गुफा में प्राचीन ओखली भी मिली
तरुण ने बताया कि यहां वर्ष 1856 में चंपावत जिले में मिली प्राचीन ओखली की तरह की एक ओखली भी है। शिलाओं पर लाल, काले व सफेद रंग में उंगलियों से मनुष्य और जानवरों के चित्र बनाए गए हैं। जिस स्थान पर गुफा है वहां रस्सी के सहारे 20 फीट ऊपर चढ़कर पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी पर रास्ता संकरा है। इस रास्ते पर रस्सी लगाकर उसके सहारे 100 मीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। बताया कि यदि सरकार यहां पर सुविधाएं उपलब्ध कराए तो यह स्थान बेड़ीनाग ही नहीं पूरे उत्तराखंड में पर्यटन के नए आयाम छू सकता है। तरुण के साथ रघुवीर मेहरा, जगदीश भारती, चंदन कुमार और गोविंद बर्थवाल भी शामिल थे।
गुफा में उकेरे गए कालीन चित्र
पुरातत्व प्रभारी, अल्मोड़ा चंद्र सिंह चौहान ने बताया कि बेरीनाग में खोजी गई गुफा का जल्द ही स्थलीय निरीक्षण किया जाएगा। यदि यह प्रागैतिहासिक कालीन चित्र हुए तो यह गुफा मिलना पिथौरागढ़ जनपद के लिए भी बड़ी उपलब्धि होगी।