हल्द्वानी : चार माह से वेतन नहीं मिलने से आर्थिक संकट का सामना कर रहे उपनलकर्मी

हल्द्वानी न्यूज़ :- कुमाऊं के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सालय, सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में मरीजों की परेशानी लगातार बढ़ रही है, क्योंकि यहां कार्यरत उपनल और संविदा पर रखे गए 659 कर्मचारियों को पिछले चार माह से वेतन नहीं मिला है। अपनी लंबित मांगों को लेकर कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। आज दो, अभी दो, हमारी सैलरी दो के नारों के साथ कर्मचारी वेतन भुगतान की अपनी मांग पर अडिग हैं, जिससे अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वेतन न मिलने के कारण उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। वे घरों का किराया नहीं दे पा रहे, बच्चों की स्कूल फीस नहीं भर पा रहे और रोजमर्रा के राशन के लिए भी पैसे नहीं जुटा पा रहे हैं।

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इस स्थिति ने न केवल कर्मचारियों के परिवारों को मुश्किल में डाल दिया है, बल्कि अस्पताल में आने वाले सैकड़ों मरीजों के लिए भी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। जब बोले हल्द्वानी की टीम इन कर्मचारियों के बीच पहुंची तो उन्होंने खुलकर समस्याएं बताईं और समाधान के लिए सुझाव भी दिए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अनदेखी

सुप्रीम कोर्ट के 15 अक्तूबर 2024 के आदेश के बावजूद उपनल के माध्यम से कार्यरत फार्मासिस्टों को स्थायी करने की बजाय, स्वास्थ्य विभाग ने नई भर्तियां निकालकर उनके भविष्य पर सवाल खड़ा कर दिया है। एसटीएच में पिछले 15 साल से कार्यरत 11 फार्मासिस्टों की अनदेखी करते हुए, 19 अक्तूबर 2024 को स्वास्थ्य विभाग द्वारा 73 नई रिक्तियों की घोषणा की गई है, जिससे उपनल कर्मियों में गहरा रोष है। फार्मासिस्ट चंद्रशेखर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से उपनल कर्मियों को स्थायी करने का निर्देश दिया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इस आदेश की अवहेलना की है। उन्होंने कहा कि हम पिछले 15 साल से एसटीएच में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हमें उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हमें स्थायी कर दिया जाएगा, लेकिन सरकार ने हमारी अनदेखी कर नई भर्तियां निकाल दीं। यह हमारे साथ सरासर अन्याय है।

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स्वास्थ्य, वन, उद्योग, उद्यान और राजस्व विभाग में तैनात करीब 900 उपनल कर्मी इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। पिछले दो महीने से उन्हें वेतन नहीं मिल सका है। संबंधित विभागों के अधिकारियों का कहना है कि बजट नहीं मिलने से देरी हुई है।

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कुमाऊं में उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) के तहत तमाम सरकारी विभागों में तैनात 900 से अधिक उपनल कर्मचारियों को दो महीने यानि मार्च और अप्रैल का वेतन नहीं मिल पाया है।

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