जानिए आदि कैलाश की यात्रा एवं प्रभु श्री राम के अनन्या भक्त की यात्रा को जाने…..

आदि कैलाश यात्रा “बादलों के ऊपर एक स्वप्न लोक”

निरंजन, निराकारः एक देव महेश्वर से आकाश उत्पन्न हुआ, आकाश से वायु और वायु से तेज अर्थात अग्नि और अग्नि से जल उत्पन्न हुआ। जल से पृथ्वी की सृष्टि हुई इसलिये देवादिदेव महादेव ही एक मात्र पूज्यनीय है, महादेव की पूजा के सभी अधिकारी है क्योकि देवादिदेव महादेव सभी के ईश्वर है।

प्रकृति की अनुपम कृति हिमालय अपनी अद्भुत सौन्दर्यता एवं रहस्मयता के लिए प्रसिद्ध है। ‘हिमालय’ कालीदास की कल्पना का रहस्य खोल रहा है। इसी हिमालय के उत्तराखण्ड के मानसखण्ड में स्थित पवित्र धाम आदि कैलाश एवं ओम पर्वत अनादि काल से ही यात्रियों के भ्रमण हेतु आकर्षण का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह शिव पार्वती की क्रीड़ा स्थली, वेदव्यास की तपस्थली व कर्मस्थली है। व्यास घाटी में महर्षि से सम्बन्धित कई किवदंतिया, लोक कथाये तथा जन विश्वास के प्रसंग आज भी विद्यमान है। इस आदि कैलाश का यात्रा मार्ग चौदास व व्यास धाटी से होकर जाता है। स्कन्द पुराण के मानसखण्ड में व्यास, चौदास को क्रमशः व्यास, चतुर्दश व धर्मद्वार कहा गया है। कैलाश मानसरोवर के तीर्थ यात्रियों को चर्तुदश को प्रणाम कर धर्मद्वार की ओर उन्मुख होकर भगवान का स्मरण करने के पश्चात् व्यास की ओर प्रस्थान करने को कहा गया है। यहाँ के लोग किसी विशेष कर्मकाण्ड या आचार व्यवहार का पालन नहीं करते, परन्तु देवतुल्य व पूज्यनीय है। ये ‘रं एवं ‘शौका’ समाज के लोग है। कहा जाता है कि महाऋषि व्यास द्वारा यही पर अपनी गुफा में निवास बनाकर महाभारत की रचना की है। यह स्थान कालापानी के समय व्यास गुफा में नाम से प्रसिद्ध है। इन घाटियों में ‘र’ एवं ‘शौका’ लोग निवास करते हैं। यह तीर्थ स्थान भगवान शिव का एक अलौकिक धाम है। जहाँ पर भगवान शिव के सत्यं, शिवं, सुन्दरम् से साक्षात्कार होता है। इस स्थान का महत्व कैलाश मानसरोवर की ही भाँति है। जिसका वर्णन स्कन्दपुराण के मानसखण्ड में भी वर्णित है। आदि कैलाश के अलौकिक दर्शन के साथ-साथ यात्री पार्वतीताल व गौरीकुण्ड के भी दर्शन यहां पर करते हैं। कुमाऊँ मण्डल विकास निगम द्वारा यह यात्रा वर्ष 1991 से निरन्तर प्रारम्भ की जा रही है, जो कि प्रत्येक वर्ष माह मई से नवम्बर के मध्य आयोजित की जाती है। वर्ष 2024 की यात्रा के संचालन हेतु सभी आवश्यक कार्यवाहियां पूर्ण कर ली गई है, जिस हेतु प्रतिदिन दलवार कार्यक्रम पर्यटकों की सामान्य जानकारी हेतु दलवार कार्यक्रम, व्यवस्थायें, सुविधाएं, आवेदन प्रपत्र एवं दरों का निर्धारण कर लिया गया है। जिसे निगम द्वारा अपने वैबसाईट www.kmvn.in पर प्रदर्शित करने हेतु अपलोड कर लिया गया है। यात्रा में प्रतिभाग करने हेतु यात्री निगम के जनसंपर्क कार्यालयों अथवा केन्द्रीय आरक्षण केन्द्र, नैनीताल के माध्यम से बुकिंग करा सकते हैं।

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यह यात्रा काठगोदाम से काठगोदाम कुल 07 रात्री एवं 08 दिवसों, काठगोदाम से काठगोदाम त्वरित कुल 04 रात्री एवं 05 दिवसों, टनकपुर से काठगोदाम कुल 07 रात्री एवं 08 दिवासों, टनकपुर से टनपुर त्वरित कुल 05 रात्री एवं 06 दिवासों, तथा धारचूला से धारचूला कुल 04 रात्री एवं 05 दिवसों की निर्धारित की गई है।
यात्रा का संक्षिप्त विवरण निम्नवत हैः

  1. निगम द्वारा यात्रा का संचालन 1991 से निरंतर संचालित दलों के माध्यम से कराया जा रहा है।
  2. निगम द्वारा इस वर्ष 2024 की यात्रा हेतु पैकेज की दरें रू0 40000.00 (07 रात्री, 08 दिवस) काठगोदाम से काठगोदाम हेतु, रू0 33000.00 (04 रात्री, 05 दिवस) काठगोदाम से काठगोदाम त्वरित, रू0 40000.00
    07 रात्री, 08 दिवस) टनकपुर से काठगोदाम, रू0 35000.00 (05 रात्री, 06 दिवस) टनकपुर से टनकपुर एवं 30000.00 (04 रात्री, 05 दिवस) धारचूला से धारचूला हेतु प्रति यात्री निर्धारित की गई हैं। जिसमें निगम द्वारा आवास, भोजन, परिवहन, गाईड इत्यादि की सुविधायें पैकेज में सम्मिलित हैं।
  3. यात्रा का संचालन 13 मई 2024 से नवम्बर माह के अन्त तक किया जायेगा।
  4. माह मई एवं जून हेतु 60 दलों के माध्यम से यात्रा संचालित की जायेगी। जुलाई से नवम्बर हेतु पृथक से दलों का निर्धारण किया जायेगा। प्रतिदल की क्षमता अधिकतम 35 यात्रियों हेतु निर्धारित की गई है।
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  1. यात्रा हेतु आवास, भोजन की व्यवस्था निगम के द्वारा अपने आवास गृहों के माध्यम से सम्पादित की जायेगी। यात्रा के पढ़ाव काठगोदाम / टनकपुर के उपरान्त पिथौरागढ़, धारचूला गुंजी/बूंदी/चौकोड़ी/ पाताल भुवनेश्वर / गंगोलीहाट, लोहाघाट / एबट माउण्ट, भीमताल में रात्री विश्राम कराया जायेगा।
  2. यह यात्रा काठगोदाम / टनकपुर से वाया भीमताल, कैंची, अल्मोड़ा, चितई, जागेश्वर, पिथौरागढ़, जौलजीबी, धारचूला, बूंदी, छियालेख, गर्बियांग, नपलच्यू, कालापानी, नाभीढांग (ओम पर्वत) होते हुए वापस गुंजी तदोपरान्त नाबी, कुट्टी, ज्योलिंगकांग (आदि कैलाश एवं पार्वती सरोवर) वापसी गुंजी, बूंदी, धारचूला, डीडीहाट, चौकोड़ी, पाताल भुवनेश्वर, शेराघाट, अल्मोड़ा, भीमताल होते हुए काठगोदाम वापसी पर यात्रा समाप्त होगी।
  3. परिवहन की व्यवस्था निगम द्वारा विभिन्न ट्रान्सपोटर / ट्रैवल संस्थाओं के माध्यम से छोटे व बड़े वाहन योजित किये जायेंगे। काठगोदाम से बस / टैम्पो ट्रैवलर के माध्यम से परिवहन की सुविधा प्रदान की जायेगी। धारचूला से यात्रा मार्ग में बोलेरा / कैम्पर के माध्यम से परिवहन की सुविधा प्रदान की जायेगी।
  4. निगम द्वारा समस्त केन्द्रों के माध्यम से बुकिंग की कार्यवाही की जायेगी।

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