आज हम आपको वासु जैन की कहानी बताएंगे, जिनकी मां ने कभी सिविल सेवा क्रैक कर अधिकारी बनने का सपना देखा था, जो कि पूरा नहीं हुआ। उनके बेटे वासु ने आइएएस बनकर यह सपना पूरा किया।
IAS Success Story: हर साल देशभर के विभिन्न केंद्रों पर यूपीएससी की सिविल सेवा में लाखों युवा परीक्षा में बैठते हैं। इनमें से कुछ छात्र ही परीक्षा को पास कर पाते हैं। प्रिलिम्स, मेंस और साक्षात्कार के बाद यह संख्या सिर्फ सैकड़ों में रह जाती है। यही वजह है कि इस मुश्किल सफर में मंजिल तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है। हालांकि, कुछ युवा होते हैं, जो जब तक अपनी मंजिल तक नहीं पहुंचते, तब तक हार नहीं मानते हैं। आज हम आपको इसी तरह हार नहीं मानने वाले एक शख्स वासु जैन की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनकी मां ने यूपीएससी की परीक्षा दी थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी। उनके बेटे वासु ने कई बार नाउम्मीदी आने के बाद भी अपना सफर जारी रखा और आखिरकार आइएएस अधिकारी बन गए।
वासु का परिचयः
वासु वास्तव में कानून के छात्र थे। वह गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के स्नातक हैं और अपने क्षेत्र में शीर्ष 10 छात्रों में शामिल थे। अपने अच्छे अंकों के कारण उन्हें पूर्ण शिक्षण शुल्क माफ किया गया था। उन्होंने न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा के साथ एक लॉ क्लर्क के रूप में भी इंटर्नशिप की, जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों में से एक थे।
मां से मिली आईएएस बनने की प्रेरणा
सिविल सेवा में करियर को लेकर वासु का कहना है कि उनकी मां ने अपनी युवावस्था के दौरान इस परीक्षा में भाग लिया, लेकिन इसे पास नहीं कर सकीं। हालांकि, उन्होंने परीक्षा को पास करने का निर्णय ले लिया था। वह एक समय वकील रहे और उसके बाद अध्यापन भी शुरू किया। इस दौरान उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी।
एनसीईआरटी को बनाया तैयारी का आधार
वासु ने स्नातक के अंतिम वर्ष में यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने एनसीईआरटी का अध्ययन करने की एक सरल रणनीति का पालन किया। उन्होंने कहा कि वह करंट अफेयर्स पर भरोसा करते थे और ऑनलाइन कुछ लेखों के साथ उनका अनुसरण करते रहे। उन्होंने ज्यादा किताबें नहीं पढ़ीं, लेकिन हर विषय में एक किताब पर टिके रहे। उनकी कानून की शिक्षा ने उन्हें तैयारी में बहुत मदद की। उन्होंने कहा, “मैंने कई किताबें नहीं पढ़ीं, मैंने पर्यावरण के लिए शंकर नहीं पढ़ा, नितिन सिंघानिया को नहीं पढ़ा, अर्थशास्त्र के लिए रमेश सिन्हा को नहीं पढ़ा, बल्कि सिर्फ एनसीईआरटी से जुड़ा रहा!”
दो बार असफल हुए वासु
वासु को अपने पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, बल्कि उन्हें दो बार असफलता का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा। अपने पहले प्रयास में वह प्रीलिम्स क्वालिफाई भी नहीं कर सके थे, लेकिन दूसरे प्रयास में वह साक्षात्कार तक पहुंचे और असफल हो गए। उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 में तीसरी बार प्रयास किया और इस बार 67 रैंक हासिल कर आइएएस अधिकारी बन गए।