
टनकपुर से देहरादून तक 250 किमी इलाका टेक्टोनिक दबाव में, वैज्ञानिकों की गंभीर चेतावनी
उत्तराखंड। हिमालयी क्षेत्र की सुंदरता के पीछे छिपा एक खतरनाक सच फिर सामने आया है। देश के नामी भू-विज्ञानियों ने चेताया है कि उत्तराखंड का करीब 250 किलोमीटर लंबा इलाका, जो कुमाऊं के टनकपुर से लेकर राजधानी देहरादून तक फैला है, इस समय गंभीर टेक्टोनिक तनाव (Tectonic Stress) से गुजर रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यहाँ लगातार भूकंपीय ऊर्जा (Seismic Energy) जमा हो रही है, और यह इलाका इतना संवेदनशील हो चुका है कि किसी भी वक्त 7.0 से 8.0 तीव्रता का महाभूकंप आ सकता है।
🌍 क्यों है यह इलाका इतना संवेदनशील?
यह पूरा क्षेत्र हिमालयी टकराव ज़ोन (Himalayan Collision Zone) का हिस्सा है, जहाँ भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट लगातार टकरा रही हैं। इस टकराव से जमीन के नीचे तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जितनी ऊर्जा यहाँ दबाव बनाकर जमा हो चुकी है, उतनी सिर्फ एक बड़े झटके से ही निकल सकती है।
🚨 क्या हो सकता है असर?
7 से 8 तीव्रता का भूकंप आने पर बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि हो सकती है।
पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और दरारें पड़ सकती हैं।
मैदानी इलाकों में भी भवन और इमारतें हिलने का खतरा रहेगा।
आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए यह स्थिति बड़ी चुनौती होगी।
📢 वैज्ञानिकों की चेतावनी
विशेषज्ञों ने साफ कहा है कि सरकार और प्रशासन को अभी से आपदा प्रबंधन और सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम तेज़ करना चाहिए।
स्कूलों, अस्पतालों और ऊँची इमारतों को भूकंप-रोधी बनाने की जरूरत है। साथ ही, आम लोगों को भी भूकंप के समय अपनाए जाने वाले सेफ़्टी प्रोटोकॉल की जानकारी होनी चाहिए।
🏔️ उत्तराखंड का कड़वा सच
उत्तराखंड पहले ही कई बार भूकंप और बादल फटने जैसी आपदाओं से जूझ चुका है। यह राज्य भूकंपीय ज़ोन-V में आता है, जो सबसे खतरनाक श्रेणी मानी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एहतियात नहीं बरता गया तो आने वाला समय बड़ी तबाही लेकर आ सकता है।
Source :- NEWS INDIAN EXPRESS