
नैनीताल। उत्तराखंड में चिटफंड कंपनी एलयूसीसी (LUCC) द्वारा किए गए कथित ₹800 करोड़ के महाघोटाले की अब जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) करेगी। उच्च न्यायालय की खंडपीठ—मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी—ने इस मामले को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
🔎 कोर्ट का रुख
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार से इस मामले में सीबीआई जांच की अनुमति मिल चुकी है। इसका आधिकारिक पत्र भी न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जिन निवेशकों के केस अब तक दर्ज नहीं हुए हैं, वे अपने भुगतान के दस्तावेज़ों के साथ सीधे सीबीआई में शिकायत दर्ज कराएं।
⚠ आरोप और घोटाले का दायरा
देहरादून, ऋषिकेश और पौड़ी समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में 2021 से एलयूसीसी कंपनी ने अपने दफ्तर खोले।
स्थानीय एजेंटों के माध्यम से हजारों लोगों से निवेश के नाम पर करोड़ों रुपये जमा कराए गए।
कंपनी ने सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकरण तक नहीं कराया।
2023–24 में अचानक सभी दफ्तर बंद कर कंपनी फरार हो गई।
बताया जा रहा है कि मुख्य आरोपी दुबई भाग चुका है।
📌 पीड़ितों की गुहार
कई निवेशकों ने कोर्ट में याचिकाएं दायर कर कहा कि राज्य सरकार और सोसायटी विभाग की नाकामी से यह धोखाधड़ी पनपी। पीड़ितों का कहना है कि जब तक उनकी शिकायतें दर्ज नहीं होंगी, तब तक डूबा हुआ पैसा वापस पाने की कोई संभावना नहीं है।
📊 घोटाले की व्यापकता
निवेशकों की ओर से पेश किए गए दस्तावेज़ों के अनुसार, कंपनी के खिलाफ देशभर में 56 एफआईआर दर्ज हैं। उत्तराखंड में ही हजारों लोग इसकी चपेट में आए हैं।