

हरिद्वार। सिडकुल थाना पुलिस और ड्रग्स विभाग की संयुक्त टीम ने गंगोत्री एन्क्लेव फेस-3 में छापेमारी कर हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के नाम पर संचालित एक अवैध शैंपू फैक्ट्री का पर्दाफाश किया। यहां क्लिनिक प्लस और सनसिल्क जैसे प्रचलित ब्रांड्स के नकली शैंपू तैयार किए जा रहे थे। कार्रवाई में तीन आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि एक आरोपी मौके से फरार हो गया। बरामद माल और उपकरणों की कीमत लगभग 15 लाख रुपये आंकी गई है।
तलाशी के दौरान चार ड्रम कच्चा माल, एक शैंपू फिलिंग मशीन, 800 खाली बोतलें, 32 पेटियां नकली शैंपू और भारी मात्रा में लेबल जब्त किए गए। मौके पर पहुंचे ड्रग इंस्पेक्टर और कंपनी प्रतिनिधि ने पुष्टि की कि समस्त उत्पाद नकली और अवैध हैं। मुख्य आरोपी हसीन अहमद ने पूछताछ में स्वीकार किया कि बिना किसी लाइसेंस और अनुमति के वह यह कारोबार चला रहा था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और कॉपीराइट कानून की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
उपभोक्ता पर सीधा खतरा
नकली कॉस्मेटिक और पर्सनल केयर उत्पाद न सिर्फ कंपनियों की ब्रांड वैल्यू को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा साबित हो सकते हैं। निम्नस्तरीय कच्चे माल से तैयार ऐसे उत्पाद बालों और त्वचा को स्थायी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कड़े प्रवर्तन की जरूरत
यह घटना दर्शाती है कि बाजार में नकली और घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों का कारोबार कितनी संगठित तरीके से चल रहा है। जब एक बड़े कॉरपोरेट ब्रांड के नाम पर इस स्तर पर फर्जीवाड़ा हो सकता है, तो छोटे ब्रांड्स और स्थानीय कंपनियां तो और अधिक संवेदनशील स्थिति में होंगी। ऐसे में नियामक संस्थाओं को और सख्त मॉनिटरिंग व नियमित छापेमारी करनी होगी।
उपभोक्ता की भूमिका
इस तरह की घटनाएं उपभोक्ताओं को भी सावधान करती हैं। बाजार से कोई भी उत्पाद खरीदते समय पैकिंग, सील, बैच नंबर और एमआरपी लेबल की जांच अनिवार्य है। संदेह की स्थिति में कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट या हेल्पलाइन से उत्पाद की पुष्टि करनी चाहिए।
👉 यह सिर्फ एक फैक्ट्री का भंडाफोड़ नहीं, बल्कि पूरे बाजार और उपभोक्ता सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक चेतावनी है।