प्रिंसी वर्मा ने अपने बलबूते पर मात्र 19 साल की छोटी उम्र में सेनेटरी नैपकिन का कारोबार शुरू किया। प्रिंसी की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी जिसके चलते वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी ताकि जल्दी पैसे कमा कर वह अपने परिवार की मदद कर सके।
देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सेलाकुई के रामपुर कलां की चोई बस्ती में रहने वाली एक गरीब परिवार में जन्मी प्रिंस वर्मा के जुनूनियत की कहानी हैरान कर देने वाली है। प्रिंसी वर्मा के जुनून को देखकर दुष्यंत कुमार की दो पंक्तियां याद आती हैं ‘कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो..’ 12वीं कक्षा पास कर चुकी प्रिंस वर्मा ने इन 2 पंक्तियों को साकार कर दिया है।
प्रिंसी वर्मा ने अपने बलबूते पर मात्र 19 साल की छोटी उम्र में सेनेटरी नैपकिन का कारोबार शुरू किया। प्रिंसी की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी जिसके चलते वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी, ताकि जल्दी पैसे कमा कर वह अपने परिवार की मदद कर सके। प्रिंसी वर्मा ने हरबर्टपुर के राजकीय इंटर कॉलेज से इसी साल 12वीं की परीक्षा पास की है। उन्होंने बताया कि वह सेलाकुई में प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र पर ब्यूटीशियन का कोर्स करने के लिए गई थी। वहीं, से उन्हें उद्यमिता विकास कार्यक्रम की कक्षा में स्वरोजगार के बारे में जानकारी मिली और तभी से उनके मन में अपना कारोबार शुरू करने की इच्छा जगी।
कम उम्र की वजह से नहीं मिला था लोन
प्रिंसी वर्मा ने जब कारोबार करने की सोची तो उनके आड़े कई मुसीबतें पहाड़ बनकर खड़ी थी। इस काम में सबसे बड़ी बाधा उनके सामने उनके कम उम्र बनी। क्योंकि कम उम्र होने के कारण उनका लोन पास नहीं हुआ और परिवार में इतनी क्षमता नहीं थी कि वह उनके इस कारोबार में पैसा खर्च कर सकें। पहले तो प्रिंसी ने खुद ही जानकारी जुटाकर खादी ग्रामोद्योग से सेनेटरी नैपकिन यूनिट का प्रोजेक्ट पास करा लिया। हालांकि, एक बार बैंक ने उनका लोन रद्द कर दिया, लेकिन उनके पिता के सहयोग से बैंक ने साढ़े 9 लाख रुपये का लोन पास कर दिया। आज प्रिंसी अपनी लगन और कार्यकुशलता से दूसरा बिजनेस भी शुरू कर चुकी हैं।